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लड़के कभी रोते नहीं

लड़के कभी रोते नहीं

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मर्द दर्द महसूस न करते कभी भी उनके,

चाहे हों जैसे भी हालात।

अगर दर्द कर दिया बयां जो कहीं,

तो मर्द के लिए बड़ी शर्म की बात।


मर्द वही जो दर्द को समझे,

दर्द मिटाने का दम भर कर ले पूर्ण प्रयास।

देह वेदना भी पीड़ादायक,

पर होती है मनस वेदना दैहिक दर्द से खास।


कह समझाते हैं दैहिक पीड़ा अक्सर, पर हम मन: वेदना रहते हैं ढोते।

"क्यों रोते हो लड़कियों जैसे?",

मर्द हैं लड़के जो कभी नहीं रोते।


उद्दीपन है लक्षण सजीव का,

वह चाहे आन्तरिक हो या बाहर का।

आॅ॑सू और मुस्कान बता देते हैं तुरंत,

हर हाल तेरे मन के घर का।


अतिरेक खुशी छिपती न कभी,

मुस्कान रूप में चेहरे पर आ जाती है।

कर देता है चेहरा दर्द बयां,

जब दिल में लहर दर्द की आ जाती  है।


हर एक मानव की है प्रकृति अलग,

कुछ दिख जाते हमें हॅ॑सते रोते।

कुछ रोते हैं छिप-छिप करके,

कहते-मर्द हैं लड़के जो कभी नहीं रोते।


पर दुख से द्रवित जो हो जाए,

मानव वह परहित कारी है।

सुख-दुख के साथ न स्थायी,

बदलती रहती इनकी बारी है।


सुख के पल उड़ते पंख लगा,

पर दुख का पल-पल भारी है।

घातक है रुकना इनका मन में,

अभिव्यक्ति सदा सुखकारी है।


देंगे पीड़ा मन में रुक कर,

खोलें गाॅ॑ठ वहीं जो कुशल होते।

लड़के - लड़की का ना भेद है कुछ,

निज मन हल्का करें रोते-रोते।


लड़का कमतर ना है लड़की से,

कहनी है ये बात मुझे हॅ॑सते-रोते।


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