लड़के
लड़के
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कुछ भी हो जाये
वो धैर्य अपना खोते नहीं
कितनी भी नींद भरी हो
वो एक पल भी सोते नहीं
दुख कितना भी आ जाये
लेकिन किसी से कहते नहीं
दूर होकर हो जाते है तन्हा
फिर भी अकेलापन दिखाते नहीं
फिक्र में अपनों की रहते है
अपनी चिंता किसी को दिखाते नहीं
घर छोड़ जाते है रोज़ी की तलाश में
कई दिन तक तो खाना खाते नहीं
कहते इन्हें बेफिक्र आवारा न जाने क्या
दुख इन्हें भी होता है अपनों से बिछुड़ने का
ये अलग बात है कि लड़के रोते नहीं।