लड़के रोते नहीं
लड़के रोते नहीं
लड़के रोते नही हैं ,
क्योंकि बचपन से ही माँ ने बताया ,
तुम लड़के हो मजबूत ,कठोर पाषाण से ,
दौड़ना ,लड़ना ,ज़िन्दगी की हर रेस में तुम आगे बढ़ना ,
पर विपत्तियों से कभी न घबराना ना रोना
क्योकि तुम लड़के हो।
बस वही बात गांठ बन्ध गई ,
लड़ते भिड़ते ,खेलते कूदते आगे बढ़ते ही गए
लेकिन कभी दुखी हुए तो भी किसी को बताया नहीं,
आँसू निकले नहीं ,पर मन कभी कभी बहुत दुखी होता ,
हमारी विवशता हमारी मजबूरी बन गई ,
इस जग में हम क्रूर के नाम से भी हुए विभूषित ,
पर मन मे प्यार को किया बहुत सुशोभित ,
हाँ हम पुरुष हैं ,ना हारे हैं ना हारेंगे ।।
