क्योंकि लड़के रोया नहीं करते
क्योंकि लड़के रोया नहीं करते
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बचपन से ही सुनते आए हो,
तुम पुरूष हो, मजबूत हो।
पुरुषत्व का एक आवरण,
जबरन मढ़ दिया
जाता है तुम पर।
मानों मन नाम की चीज,
हो ही नहीं तुममें !!
स्वयं को उस आवरण में,
छिपाकर झूठी
कठोरता ओढ़े बड़ी शान से
चला करते हो तुम भी।
आंखों में आये आंसू,
चतुरता से छिपा लेते हो
दर्द को भी कहीं अंदर
मन में दबा लेते हो
क्योंकि, लड़के रोया नहीं करते!!
इस दर्द को अंदर ही अंदर,
दबाये दिल का बोझ क्यों
बढ़ाते हो??
क्या हो जाता अगर तुम भी
थोड़ा रो लेते?
मन की गांठ खोल देते
हल्का हो जाता मन
सुकून के कुछ पल मिल जाते।
