क्यों बहाते नहीं ?
क्यों बहाते नहीं ?
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उनके अश्क की दीवारें गहरी हैं, शब्द मेरे समझा पाते नहीं
वक्त ने कई राहें दिखा दी, रास्ते लेकिन लौट के आते नहीं।
मैं जानता हूँ भूल नहीं है मेरी, इसे भूल कहना इक पर्दा है
क्यूं ना कर लूं कफ़न का पर्दा, हाथ ये पर्दा हटा पाते नहीं।
बेवफा कह के सितमगर, अपनी रूह को तो शांत कर लेते हैं,
बदन मेरा अगर गन्दा है तो क्यों इसे गंगा में बहाते नहीं।