क्या इसी को बसंत कहते हैं?
क्या इसी को बसंत कहते हैं?
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पीली सी ऋतु में सरसों पीली
पीले ही बाग बगीचे रहते हैं,
देख के मन प्रफुल्लित होता
क्या बसंत इसी को कहते हैं?
बयार में नशा इतना होता है
कि सब मंदिराए जैसे रहते हैं,
मन में अजीब सी उमंग उठें
क्या इसी को बसंत कहते हैं?
धरती पर न थमते हैं कदम
जैसे हम आसमान में बहते हैं,
उमंग भरे बिन पंख के उड़ते
क्या बसंत इसी को कहते हैं?
कली, फूल और भंवरे सारे
सब एक ही धुन में रहते हैं,
ऋतु को भी छा जाऐ जवानी
क्या इसी को बसंत कहते हैं?
