हिंदु मुस्लिम सिक्ख इसाई करते करते मरते हैं एकता प्रेम निभा पाते नहीं। हिंदु मुस्लिम सिक्ख इसाई करते करते मरते हैं एकता प्रेम निभा पाते नहीं।
प्रेम, श्रृद्धा, विश्वास बिना- कवि बाबूराम विमल क्या होगा ? प्रेम, श्रृद्धा, विश्वास बिना- कवि बाबूराम विमल क्या होगा ?