कुछ याद नहीं
कुछ याद नहीं
1 min
329
तेरी आने की एक आहट सुनी थी मैंने।
और फिर तुझ से हुई क्या बात कुछ याद नहीं।
तुझसे मिलकर जो गीत लिखे थे मैंने।
कैसे-कैसे थे वह नगमे कुछ याद नहीं।
पीछे बारिश में कुछ झुमके बरसा था सावन।
अब के गुजरी है कैसे बरसात कुछ याद नहीं।
हम मिले थे कब और कब जुदा हुए।
कब तुम से हुई मुलाकात कुछ याद नहीं।
बेखुदी कुछ बढ़ सी गई जब प्यार हुआ तुमसे।
कितने मासूम थे वो जज्बात कुछ याद नहीं।
तुमने फूलों की महक दी या कांटो की चुभन दी।
तुम्हारी दी हुई हर, सौगात कुछ याद नहीं।