कट जाएगा सफर
कट जाएगा सफर
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कोरोना भी सफर है,
कट ही जाएगा।
कहीं कुछ ना कुछ
यादें छोड़ जाएगा।
बीते लम्हें करेंगें उदास,
पर होगी खुशी।
हम जिंदा हैं आज
मन खुश हो जाएगा।
जिस घर से उठी,
होंगीं लाशें।
वे भुला न पाऐंगे,
वो दु:खद लम्हा।
घर वाले तो रोए,
दीवारें भी रोई होंगी।
कैसे पिया होगा,
दर्द का प्याला।
मंजर बड़ा भयानक,
अनगिनत लाशें।
उठतीलपटें
चीख- पुकार।
मन की टीस ,
रोक नही पाती हूँ।
जब भी वक्त मिलता,
लिखने बैठ जाती हूं।
मिटा नामो निशान,
बीमारी का इस जहां से।
विनय स्वीकारो मातेश्वरी,
महामारी दूर करो।