क्षणिका
क्षणिका
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हमारे एक कवि मित्र
काफ़ी समय से -
लोहे के चने - चबा रहे हैं ,
किन्तु फिर भी डॉक्टर उन्हें
एनीमिया बता रहे हैं !
अरुण प्रदीप