STORYMIRROR

Anita Sharma

Others

3  

Anita Sharma

Others

कशमकश

कशमकश

1 min
202


कविता हमें रच रही है 

या फिर हम उसको।


कशमकश इसी बात की 

उठ रही है ज़हन में,


दिल के अलफ़ाज़ उकेरो

तो जोड़ देती है हज़ारों से,


मिलते बिछड़ते रिश्ते

नज़र आते कतारों से,


कल्पनाओं से परे कुछ,

सच पर चले जो लेखनी,

 

बन कर नयी खबर,

छप जाती है अखबारों पे।



Rate this content
Log in