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कृति
कृति
कृति
कृति
कुछ अस्पष्ट सी रेखाएँ
कौंधा करती हैं अक्सर…
कड़कती बिजली की तरह,
मेरे दिमाग़ के कैनवस पर!
पूरी होने की कोशिश में…
अधूरी से भी शायद कम,
धुंधली सी यह तस्वीर-
कहीं तुम्हारी तो नहीं?
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