कर्म मेरे माँ बाप हैं
कर्म मेरे माँ बाप हैं
कर्म मेरे माँ बाप हैं, ईमानदारी मेरी छाया है
माँ बाप के चरणों में मेरा, यह जीवन भी समाया है।
माँगता क्या भगवान से, माँगने को कुछ भी बचा नही
माँ-बाप के अलावा दुनिया में, कोई भी मुझको जंचा नहीं।
बचा तो ज्ञान गुरू से माँगा, जो मेरे पिता समान हैं
उनके चरणों मे मेरा, शत्-शत् प्रणाम है।
विधा माँगी माँ सरस्वती से, जो मेरे धर्म की माता हैं
माँ बाप के बिना इस जीवन मेम, कोई नहीं सुहाता है।
वो दिन याद है मुझको, जिस दिन संसार में आया था
बाहों का बनाकर के झूला, मुझे दिन-रात झुलाया था।
ईमानदारी अपना वेश है और किस्मत अपनी दासी है
माँ बाप के चरणों में लोगों, हरिद्वार और काशी हैं।