कोई तो है
कोई तो है
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वो रहता है कहीं छुपकर,
मानो या ना मानो कोई तो है रहबर।
शायद सूरज, चाँद ,अंबर,
या फिर धरती पर ईश्वर ।
दिन और रात में सिमट कर,
छिपा है कहीं हम सबके ही भीतर।
अनमोल खजानों से भरी कुदरत,
नदी या पर्वत पर श्वेत चादर।
सागर की लहर, मदहोश पवन,
पत्थरों से झाँकता नन्हा अंकुर।
सर्वशक्तिमान कहीं हम सबके भीतर।
वो रहता है कहीं छुपकर।
मानो या ना मानो कोई तो है रहबर।