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SURYAKANT MAJALKAR

Others

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SURYAKANT MAJALKAR

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कम ही लगता है

कम ही लगता है

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हमेशा कम ही लगता है पैसा।

कभी कहाँ नहीं ज्यादा है।

बचत करो और फिर खर्च करों, वक्त कहता है।


हमेशा कम ही लगता है इंतजार तुम्हारा।

ख़ुदा से वक्त बढ़ाने गुज़ारीश की है।

अभी तक अर्जी मंज़ूर नहीं हुई है।


हमेशा कम ही लगती है भक्ति तुम्हारी।

भगवान कहे," मन लगाकर किया करो।

कोशिश पुरी है, मगर मन भटक गया है।


हमेशा कम ही लगते है अल्फ़ाज कवि के।

थोड़ा दिल लगाकर लिखा करो।

दिल व्यर्थ के विचारों में अटका पड़ा है।



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