STORYMIRROR

Bhavna Thaker

Others

3  

Bhavna Thaker

Others

कली सिमट गई

कली सिमट गई

1 min
359


नैन हाला लब मिश्री है 

जाम की सुगंध

गगरी चाँदनी की

मधुप सी मोगरे की कली

संदल सी महकी बहकी 

रज गोधुली सी

बावरी बाला 


प्यासी मिलन की पिहू की

हर दिल बसी 

कौन इन पर ना मरे कहो

एक हल्की कंपकपी लिए 

रूह की पाक पूर्णिमा सी

थोड़ी मौन है मुखर बड़ी 

सवाल भी है


जवाब भी चंचल सी 

गंभीर नाद सी दरिया सी

लगे कभी आग सी 

हल्दी से नहाई 

संगमरमर सी मरहमी 

एक कोरी कुँवारी तनया 

ओढ निकली है घूँघट रात का 


छम छम सी पायल पैरन धरे

चुपचाप दहलीज़ लाँघते 

ठिठुर गए पग एक सोच पर 

बाबा की सूरत अँख धरे

नीर नैन पलकन भीग गए

कर बंध किवाड़ उर तले 

सो गई सिमटकर गोद में 

माँ बाप की लाज से लिपट कर। 



Rate this content
Log in