खुली किताब
खुली किताब
जिंदगी है एक खुली किताब
जो चाहो लिख दो हुजूर ,
सियांही कोई भी रंग का हो
मगर कालीक से रहे वो दूर ;
बचपन की बातें और यादें
खूब लिखो भर-भर के ,
महसूस करें आज के बच्चे
खुशी हमारे उन दिनों के ;
मेहनत की बातें पसीने से नहाएं
जरूरी है लिखना किताब में ,
समझ सकें ताकि बच्चे अभी से
आसान नहीं लक्ष्य पाना जिंदगी में ;
बड़ों का सम्मान और आदर करना
यह भी जरूरी है इसमें लिखना ,
बदतमीजी से ताकि बच्चे दूर रहें
हमें यह सिख उनको है ज़रूर देना ;
इस खुली किताब में हों कुछ ऐसी बातें
देशसेवा का जज्बा पैदा हो हर व्यक्ति में ,
घृणा का भाव न रखें कोई किसीके लिए
कहें मिलजुलकर चलों समाज को सुधारें ।।
