खुद के लिए लिखी गई कविता
खुद के लिए लिखी गई कविता
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दिल को जूनून चढ़ गया उड़ान भरने का,
हवा के संग खेलती रहूं ,
पानी की तरह बहती रहूं ,
ईमानदारी से बहुत जी लिया,
अब थोडी शैतानी कर लूँ .
जिंदगी सुनी है प्यार के बीना,
तुमे तो बहुत ढूंढा मैने,
आज खुद को ढूढ़ लूँ .
प्यार को पाने के सपने बहुत सजायें,
आज खुद को ही थोड़ा प्यार कर लूँ
फ़ितूर चढ़ा ख़ुशामद का ,
क्यों न थोड़ी खुद की ख़ुशामद हो जाए.