खफा
खफा
1 min
7
एक बात बताओ
तुम ऐसे कैसे बदले
जो बात बात पर तुनक जाते थे
बात बात पर अड़ जाते थे
सही ग़लत का फैसला
आंखों से कह जाते थे
अब बड़ी बड़ी गलतियों पर
हो जाती लब मौन क्यों ?
जी चाहता कोई रोके टोके
पर अब वो कुछ न कहते
एक चुभन सी मन में हरदम
हो गए ताउम्र खफा तो नहीं वो
मेरे प्रियवर तुम ही बताओ
रुख तुम्हारा अब ऐसा क्यों ?