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S Ram Verma

Others

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S Ram Verma

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ख़ामोश चिड़ा !

ख़ामोश चिड़ा !

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क्या तुम्हेंं पता है ?

रोज-रोज चीं -चीं कर

शोर मचाने वाला चिड़ा 

आज इतना खामोश क्यों है ?

क्या तुम्हेंं पता है ?

रोज-रोज चीं -चीं कर

उड़ने वाला चिड़ा आज इतना 

खामोश क्यों है ? 

क्या किसी ने क़तर दिए हैं

इसके फर फर कर उड़ने 

वाले पर ?

क्या तुम्हें पता है ?

रोज-रोज चीं -चीं कर

अपनी चोंच को भर लाने

वाला चिड़ा आज अब तक 

भूखा क्यों है ?

क्या तुम्हें पता है ?

रोज-रोज चीं -चीं कर

अपने सीने में जमी ठण्ड को 

गर्म भाप और गर्म पानी से 

मिटाने वाला चिड़ा आज

इतना खामोश क्यों है ?

शायद तुम्हेंं पता है पर तुम

कहना नहीं चाहती अपनी 

जुबां से की वो खोज रहा है ? 

अपनी गौरैया को जो आज 

सुबह ही इसे छोड़ कर कहीं  

और चली गयी है।

क्या तुम्हेंं पता है ?

वो जाते जाते अपने साथ 

इस चिड़े की चीं चीं भी 

अपने साथ ले गयी है !  



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