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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Others

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

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कभी

कभी

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कभी वो पास आते थे 

मुनासिब साथ जाते थे 

हसीं वक़्त औ मुस्कराते थे 

खुशी पल ना गंवाते थे !


ज़मीं पे आशियाना था 

कमी पे ये ठिकाना था 

नमी आँखों की रहती तो 

हमीं से सिर नवाते थे !


अजीबो दास्तां है ये 

बताऊँ या छूपाऊँ क्यूँ 

कभी फुरसत से बैठे तो 

हमें फिर से सुनाते थे !


दिलो जां से कभी उनको 

ना देखा था, ना चाहा था 

खुदा की आरजू बस थी 

यही मुझको बताते थे !!



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