कब आएगा बसंत
कब आएगा बसंत
यूँ तो महक रही फुलवारी, चहक रहे डालों पे पक्षी ,
पर मिट्टी भी सहज नहीं है , स्वयं नर, हुआ नर भक्षी ।
ना जाने कब मानव बन पाएगा मानव हे रामा।
ना जाने ,कब आएगा बसंत मोरे अँगना हे रामा।
कहने को तो खेत सज रहे ,खाने को पर नहीं है दाना,
भूखे प्यासो की धरती ना ,पर बिकने को इन्सां जाना।
ना जाने कब दिल धडकेगें प्रेम पलेगा, हे रामा।
ना जाने ,कब आएगा बसंत मोरे अँगना, हे रामा।
माँ के मन मे आस पल रही,अपने तन की लाज ढँक रही ,
बेटे को दो जून खिला दे,बस मन में इक प्यास पल रही।
ना जाने ,कब घर मधुवन बन पाएगा, हे रामा।
ना जाने ,कब आएगा बसंत मोरे अँगना, हे रामा।
वीर जवानों की धरती ये, जाने कितनों की कुर्बानी ।
युगों युगों से लड़ते आए ,देश शान की बने निशानी ।
ना जाने कब पाएंगे आजादी मन की, हे रामा।
ना जाने ,कब आएगा बसंत मोरे अँगना, हे रामा।
पर कैसा ये वक्त आ गया ,भाई ही भाई का दुश्मन,
कौन करे रखवाली घर की,स्वार्थ में जकडे सारे बंधन।
ना जाने , रिश्तों में कब छाएगा बसंत, हे रामा,
ना जाने ,कब आएगा बसंत इन्दु अँगना, हे रामा।