कौन
कौन
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तुमसे बढ़कर जग में मेरा कौन है।
तू न रहे तन में फिर जिंदा कौन है।।
तेरा साथ सदा बना रहे,बालाजी,
तू ही साखी की रूह का मौन है।।
मतलबी जग में तेरे बिन,बालाजी,
साथ भी आखिर यहां देता कौन है।।
वही बनता जग में चिड़िया सोन है
जिसके भीतर रहता निश्छल द्रोण है।।