कैसे दूं तुम्हें बधाई ओ शिक्षक
कैसे दूं तुम्हें बधाई ओ शिक्षक
आज दिवस है शिक्षक का
किन्तु!
कैसे दूं तुम्हें बधाई ओ शिक्षक?
जब देखूं हर दिन होती,
आत्महत्या उनके मानस की,
मैं देख चुका एक व्यापार है शिक्षा,
चलता फिरता बेताल है शिक्षक,
रोज़ सूंघता, किसे फसाऊं?
किसके जीवन को नरक बनाऊं?
मैंने देखा है झुंड का झुंड
गीदड़ जैसे हो गए शिक्षक
क्या रचेंगे भविष्य वे बच्चे?
जिनके हों आडंबरी शिक्षक।
देखे मैंने ऐसे शिक्षक,
इंसानियत की बढ़ाई वे करते,
गला घोंटते मानवता का,
मैंने देखे कई एक शिक्षक।
तकनीक के इस दौर में
पाए मैंने ऐसे शिक्षक,
बच्चों को बना दिया उपकरण,
मन उनका न समझे शिक्षक।
सोच रहे ये सब शिक्षक,
नादान हैं बच्चे ये सब,
गलती है उनकी बड़ी ये,
जान रहे ये सब गपशप,
होगा आंदोलन बड़ा इक शीघ्र
जब औकात में आयेंगे ये शिक्षक।
कैसे?
कैसे दूं तुम्हें बधाई ओ शिक्षक?