जवाब
जवाब
वैसे तो बहुत से सवालों के जवाब होते है,
पर हमें सवाल वही सताते है जिनके जवाब नहीं होते,
क्या सच में जवाब नहीं होते! या हमारे पास नहीं होते है!
कुछ ढूढ़ने पर मिलता है और कुछ,
कुछ ढूढ़ने पर और उलझते है।
उन उलझनों को सुलझाने में कई
और सवाल ख्याल में आते है!
और अगर कहीं जवाब मिले भी तो
सवाल ही बदल जाते है।
उन बदले हुए सवालों के साथ जब सोच बदलती है
तो कही उलझे सवाल खुद ही सुलझ जाते है।
नजरिया जब बदलता है तो कहीं जवाब नजर आते है,
जो गुजरे हुए वक़्त के साथ नुमाइश बन कर रहे जाते थे।
इन्सान खुद के ही सवालों में इतना उलझ जाता है
की सामने रखे जवाब भी नजरबंद कर देता है।
और कुछ सवालों को जवाब के साथ ही दफनाया
जाता है।
जवाब, यू तो बहुत से जवाब यू ही रहे जाते है।