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Shailaja Bhattad

Others

5.0  

Shailaja Bhattad

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जश्न-ए- होली

जश्न-ए- होली

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होली की मची धूम

भांग से गए झूम

रंगों से रंग गए सब खूब

अपनों के संग झूम रहे भरपूर ।

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बसंत में आई बहार

रंगों की है फुहार

धरा कहे पुकार

होली का त्योहार।

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बागों में जश्न

खुशियों में मग्न

मन में नहीं कोई प्रश्न

होली का जश्न।

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एक ही रंग में रंगे हैं।

 न जाति न रंगभेद से जुड़े हैं।

 रंगों की बारिश में खिले हैं।

 हाथों में गुलाल लिए,

फाल्गुन की फुहार में झूमें हैं।

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धरती है लाल।

 अंबर में गुलाल ।

भूलकर सारे मलाल।

 मल दे तू मोहे गुलाल।

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 अबीर गुलाल संग।

 छूटे ना प्रीत का रंग ।

अंग-अंग जागी उमंग ।

 रंगीला मौसम होली के रंग।

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फूलों के संग।

 इंद्रधनुषी रंग।

 होली में मग्न ।

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होली की दुलारी ।

 भरी पिचकारी ।

मारे सरररर ।

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 होली की धूम ।

अपनों के संग जमी खूब।

 वो खिले हम निखरे।

 मस्ती में झूम रहे भरपूर।


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