जो भी करो दिल से करो
जो भी करो दिल से करो
कोई भी कार्य
प्रतिपादित करने से
गर समाज का उत्थान होता हो तो
यह तो बहुत ही अच्छी बात है
राजा कर्ण
इतिहास के पन्नों में
महादानी माना जाता था
उस स्तर तक महादानी न भी बन
पाओ तो
कम से कम
दानी तो बनो
अपने दोनों हाथ
किसी जरूरतमंद की
मदद के लिए
हमेशा तैयार रखो
दिल में जज्बा रखो
आंखों में चमक रखो
होंठों पर मुस्कान रखो
जेहन को ठंडा रखो
जो भी करो
दिल से करो
कोशिश करो
हाथ मांगने के लिए
किसी के सामने न फैले बल्कि
किसी को सहारा देने के लिए ही
उठे
किसी की सेवा करने के लिए पर
यह याद रखना कि
तन, मन, धन
यह सब चाहिए होता है
हम दूसरों की मदद कर भी तभी
पायेंगे जब
खुद भी सक्षम हों
कर पाने की स्थिति में हों
तन को स्वस्थ रखो
मन को उज्ज्वल रखो
धन को संचित करते रहो
धन का अपव्यय मत करो
उसे अच्छे कार्यों हेतु प्रयोग में
लाओ
हो सके तो
हमेशा दूसरों को प्रेरित
करो
उनकी व्यथा सुनो
उनका दुख दर्द बांटो
उनका दिल हल्का करो
उन्हें अपनेपन का अहसास करवाओ
जितना सरलता पूर्वक
कर पाओ और
जो भी कर पाओ
वह करो
दूसरों के घरों में दीये
जलाने से पहले
दूसरों के दिलों में चिराग
रोशन करने से पहले पर
अपने घर के दीये और
अपने दिल का चिराग भी
लगातार रोशन करते रहना
न भूलो।