जो आप समझें
जो आप समझें


जो
अब वर्तमान है
कल इससे परे भविष्य था
और
कल अतीत हो जाएगा
किन्तु
समय की गति सीधी नहीं
चक्रीय है
घड़ी घूमती है रोज उन्हीं अंकों पर
घड़ी तो यंत्र है
हाँ, पर
ऋतु, मौसम, वार, माह
आते हैं बार बार
उसी क्रम में
फिर लोग क्यों कहते हैं
गया समय वापस नहीं आता
क्यों नहीं मानते
कि
जो अतीत है वह
पुनः वर्तमान हो सकता है
तमाम उदाहरण हैं
कि
इतिहास स्वयं को दोहराता है
हाँ, यह सही है
समय खुद को दोहराता है
पर
हर दोहराव भिन्न होता है
अपने मूल से
रोज सुबह होती है
<p>रोज शाम
लेकिन हर शाम
और
हर सुबह एक जैसी नहीं होती
हर सावन और फागुन एक से नहीं होते
और जीवन
जो बदलता है प्रति क्षण प्रति पल
स्थाई रूप से
जीवन ने न तो बचपन को वापिस दिया
और न यौवन को
जबकि
हम अब भी प्रतीक्षारत हैं
और
परे भी प्रतीक्षा करेंगे
यह जानते भी
कि
वह इतिहास जिसका नाम बचपन था
यौवन था
अपने को नहीं दोहराएगा
अभी यह विचार मन में
रूपायित हो ही रहे थे कि
७ वर्ष का बेटा आया
और आलिंगनबद्ध हो गया
और
मुझे लगा कि बचपन लौट आया है
इतिहास स्वयं को दोहरा रहा है