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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

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जनवरी माह

जनवरी माह

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पौष-माघ की कड़ाके की ठंड,

जनवरी महीना जब ठिठुराता है,

जाड़े की रातें होती है धुंध भरी,

पाला जन को बहुत सताता है।


दांत किटकिटाते बुजुर्ग जनों के,

ठंड से मरते लोग जगत हजार,

गर्म चाय और मोटी सी रजाई,

मन ललचाता जमकर के प्यार।


श्वेत धरा चहुं ओर नजर आये,

ओस दूब पर लगे मोती समान,

सरसों फूली बासंती रंग लगता,

कवि कल्पना माह जाने जहान।


मकर संक्रांति का पर्व आता है,

भीष्म पितामह त्यागे जब प्राण,

रेवड़ी, मूंगफली, गजक खाते है,

बढ़ जाती जब जन शक्ति घ्राण।


पंजाबी समुदाय मनाता लोहड़ी,

भाईचारे की मिलती है मिसाल,

पंछी नीड़ में शांत भाव से बैठते,

झड़ते पत्ते वृक्ष होता है बदहाल।


ठंड के बीच आता गणतंत्र दिन,

संविधान नियमों का करे पालन,

एकता से परिपूर्ण भारत देश मेरा,

जिनसे होता है देश का संचालन।


किसान बेचारे ठंड के लगे मारे,

फसल उगा उगाकर सभी हैं हारे,

सीमाओं पर रक्षा करते हैं रोजाना,

वो लाडले किसी मां के हैं दुलारे।


भूख बढ़ाता सेहत बनाता मौसम,

ठंड बदले तन चय उपापचय दर,

ठंड में कांपते ईश्वर का नाम जपे,

गिर जाते हैं तो बोलते हैं हर हर।


पशु, पक्षी, दानव और मानव जीव,

सर्दी में सभी हो जाते हैं बदहाल,

देखते प्रकृति की छवि चहुं ओर,

मन में उपजे गीत जब बजे ताल।।



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