जल - प्रकृति का आभूषण
जल - प्रकृति का आभूषण
जल ही हैं, प्रकृति की जान।
जल ही हैं, पर्यावरण की शान।।
जल से ही, जिंदा रहता हैं जीवन।
जल से ही, हरे-भरे रहते हैं वन।।
आज अगर बहाया जल, तो होगी कल बड़ी विपत्ति।
आज अगर बचाया जल, तो ही कल बचेगी प्रकृति।।
याद रखें जल आपकी नहीं, हैं वह प्रकृति की संपत्ति।।
ज्ञात तो यह सबको है, मगर न जाने कब जागेगी जागृति।।
पहली बार में करें सोच-समझकर,और फिर करें जल का पुनः इस्तेमाल।
नहीं रहा जल तो, होगा सबका बहुत बुरा हाल।।
प्रकृति लिख रही किताब में, किसने बेवजह जल बहाया।
चूक ना होगी उसके हिसाब में, सबसे लेगी तगड़ा किराया।।
हैं बात बहुत ही आम, सरल और साधारण।
सुधारे अपनी आदतें, और अपनाएं सही आचरण।।
संभालकर रखें प्रकृति की धरोहर, ना करें उसका प्रदूषण।
प्रकृति और पर्यावरण का, जल है अनमोल आभूषण।।
जिंदा रहा जल तो, सजी रहेगी प्रकृति और सुंदर बनेगा पर्यावरण।।