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राही अंजाना

Others

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राही अंजाना

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जिस्म जलायेंगे

जिस्म जलायेंगे

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धीरे-धीरे आहिस्ता हम नशे में जिस्म जलाएंगे,

जीवन अपना मर्ज़ी से हम जब चाहे सुस्तायेंगे, 


युवाओं का पथ है इसपे चलना तुम क्या जानो,

बहुत जल्द ही लोग यहाँ पे धुँआ उड़ाने आयेंगे,


अपनी अपनी ढपली सबकी अपना अपना राग है,

लोग यहाँ पर समय समय तुमको सुलगाने आयेंगे,


यहाँ वहाँ कहीं गिर जाते तो लोग उठाने आ जाते,

अपने ही घर में भटके को कहाँ ठौर ठिकाने आयेंगे, 


उलटी धारा में बहके निकले कहाँ नज़र हम आयेंगे, 

जो राही पहुंचाने आये तो वो शव पहचाने जायेंगे, 


जब तक न सुधरोगे तुमको हर वक्त सताने आयेंगे,

बीत गई हैं जो बातें उनको हर बार दोहराने आयेंगे,

 

सांप-सीढ़ी का ये खेल नहीं तुमको बतलाने आयेंगे, 

सिगरट के छल्ले से निकलो सब गले लगाने आयेंगे।। 


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