जिसे देख मुस्काना सीखा
जिसे देख मुस्काना सीखा
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जिसे देखकर लिखना सीखा
जिसे देखकर गाना
जिसे देखकर जीना सीखा
जिसे देख मुस्काना।।
आओ आज मिला दूँ यारों
सबको मैं अपनों से
प्रिय नहीं होता कोई
कभी कोई अपनों से।।
दु:खों से मैं लिखना सीखा
सुखों से मैं गाना
कविताओं से जीना सीखा
दिव्या से मुस्काना।।
सुनो ध्यान से मेरे बंधू
क्या है मेरा कहना
शिवपुरी की नाज़ है यारों
मेरी दिव्या बहना।।
एक राज़ की बात बताऊँ
कान लगाकर सुनना
जब भी कोई याद
दिव्या सा मुस्काना।।