ज़िंदगी
ज़िंदगी
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सोचा हमने समझा हमने
जाना हमने माना हमने
ये ज़िंदगी है अपनी अपनी..
खुद से खुश होकर जिया हमने !
ना जानें ये कौन सा दर्द है !
जो बड़ा ही बेदर्द है !
हर दर्द को हमने भुला दिया !
हमे आज में जीना सीखा दिया
समय हमें मिल जाता ए ज़िंदगी;
अपनी बची ख्वाहिशों को पूरा कर लेते !
किसी को हमने वादा किया वो पूरा कर लेते !
अपनी हर एक उम्मीद पर खरे उतरते !
आज हम ऐसे मोड़ पर हैं.. के ना अपने लिए
ना ही अपने किसी के लिए कुछ कर पाए !
अब तो यही दुआ हैं..हमे अपने ईश्वर से
है भगवान जो बची हमारी थोड़ी जिंदगी हैं;
वो कहीं किसी के बस काम आ जाये !