जिन्दगी एक छलावा
जिन्दगी एक छलावा


फूलों की खुशबू से तो सब महके,
पर कांटो की पीड़ा किसने जानी।
चेहरे की हँसी तो सबने देखी ,
पर दिल की पीड़ा किसने जानी।
कैसे करें पहचान इंसान की,
कुछ भी समझ में न आए।
जो साथी सुख में रहे वो,
दुख में हो गए सब पराए।
सावन तो बहुत देखे फिर भी,
पतझड़ कुछ समझ न आए ।
सुख दुःख की छाँव तले ,
मैने भी कई अरमान सजाए।
बीती बातों को बिसरा कर,
कई रिश्ते जोड़े और निभाए।
मन का दर्द किसी ने न जाना,
सब हँसते चेहरे पर ही जाए ।
जब भी किसी के साथ हुए ,
हर पल एक ही आस जगे।
कोई तो मन की पीड़ा समझे,
अरमानों को मेरे पंख लगाए।
कुछ पल के साथी बहुत मिले,
पर साथ कोई न चल पाए।
एक आस में दिन बीते,
एक उम्मीद में रात।
हरपल अरमानों का दम निकले,
कोई न हुआ दर्द में साथ।
जिन्दगी एक छलावा है,
अब ये बात समझ में आए।