STORYMIRROR

Kunwar Yuvraj Singh Rathore

Others

3  

Kunwar Yuvraj Singh Rathore

Others

जिंदगी और द्वंद्व

जिंदगी और द्वंद्व

1 min
311

ये जिंदगी एक सफ़र हैं सुनहरा,

न मान धन अपना यह घमंड तुम्हारा।

जनम लिया मनु जब योनि में,

भाव बने बढ़ जत जोनी में। 

विपदा को झेलता हैं मानव, 

उग्र बन फिर खेलता है मानव। 

पल हर को जीलिया कर धुनहरा, 

ये जिंदगी एक सफ़र हैं सुनहरा। 


जन का लालच शून्य चल पड़ा,

मनु विष आग ताप में जल पड़ा। 

सफ़र अनोखा पल ये देखे हैं, 

टूटते परिवार बहुत यहाँ देखे हैं। 

रिश्तों के बंधन का होता है एक

भूनहरा, 

ये ज़िन्दगी एक सफ़र हैं सुनहरा। 


कब जाए शशि पता शरीर तज के, 

प्रेम अदा कर मनु हरि भज के ।

हा! यहाँ नश्वर आत्मा भटके गी तेरी, 

देख सम्पदा अपनी लटकेगी झेरी। 

कर ग़म बाट खुशी से जुनहरा,

ये ज़िन्दगी एक सफ़र हैं सुनहरा।


हम कर कर्म के जोगी हैं, 

पकड़ पुनः धर्म के भोगी हैं। 

चले हम तुम सब जहाँ सुन्दर पुनहरा, 

ये ज़िन्दगी एक सफ़र हैं सुनहरा।।



Rate this content
Log in