शिक्षा का व्यवसायीकरण
शिक्षा का व्यवसायीकरण
दिल्ली की दिल दहलाती गलियां,
मदहोश हवा में झूमती कलियां।
वादियों में आहें अटकीं
कमबख्त यहां पर राहें भटकी।
तिल तिल मरती मर जी कर फिर ये मरती,
शुन्य घटा की साधना।
मैं नटखट सा बावला,
आया तान कर तीर।
देखा शिकार खोल नैन कर,
गया घूम मोये सिर।
ठोक धाक कर फिर सम्भला,
देख देख कर फिर मैं झुम्बला।
बाहर भी झाँका अंदर ताका,
बन्दा कोई न मुझको आंका।
सब अपनी अपनी गाते,
मेरी सुनने कोई न आते।
यहां इंसा बनने हम सब आते,
गधे बनाकर भेजे जाते।
गया बांध कर कम्बल था,
आया बांध कर बंडल हूं।
पढ़ होश में आजाना बन्दे,
न माना तो लगेंगे फंदे।
दिल्ली की दिल दहलाती गलियां,
देख बावला सबक ले लिया।।
