जीवन धारा ( मुक्तक )
जीवन धारा ( मुक्तक )
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
1 min
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
161
ले सुख दुख को साथ
समय बन उम्र व्यतीत हुई
हुई किसी की हार या
कभी मन की जीत हुई ।
जो जैसा भी था गुजरा
कल अब तो बीत चला
पल पल कर के जीवन
धारा परे अतीत हुई ।।