जीवन धारा ( मुक्तक )
जीवन धारा ( मुक्तक )

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ले सुख दुख को साथ
समय बन उम्र व्यतीत हुई
हुई किसी की हार या
कभी मन की जीत हुई ।
जो जैसा भी था गुजरा
कल अब तो बीत चला
पल पल कर के जीवन
धारा परे अतीत हुई ।।