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Kapil Jain

Others

2.2  

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जीने के लिए ये जरूरी है भ्रम

जीने के लिए ये जरूरी है भ्रम

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सुनो

मेरा ये भरम रहने दो 

कि तुम हो 

मेरे जीने के लिए ये जरूरी है.

 

मुझे नहीं चाहिए 

तुम्हारा कांधा. 

तुम्हारा सीना. 

तुम्हारा रुमाल. 

या कि तुम्हारे शब्द.. 

 

हो सके तो मेरे लिए हो जाना 

बहुत ऊंचे पहाड़ों में 

धीमे उगते किसी पेड़ की 

गहरी खोह

 

मैं शायद 

तुम तक कभी पहुँच नहीं पाऊँगा  

मगर मुझे चाहिए होगा 

तुम्हारे होने का यकीन 

 

तुम मेरे मन में बहती 

चुप नदी हो 

 

मुझे लगता नहीं है कि 

कभी 'हम' हो सकते हैं एक

 

मन की दीवार एक होती है

जिनसे रिसता है विरह

पर धीरे-धीरे सीख लेगी मेरी रूह

उन सीले शब्दों को सोखना 

मुझे तुम्हारी उँगलियों की फ़िक्र होती है 

तुमने मेरा मन छुआ लिया ना एक बार 

 

मुझे वो हिस्सा नहीं चाहिए 

इस दुनिया का जो सच में घटता है. 

मैं बहुत थक गया हूँ. 

मैं लौट कर किताबों तक जा रहा  हूँ. 

 

मेरे पास कुछ भी नहीं है तुम्हें देने को 

मेरे बेजोड़ दिल में जरा सी चाह हैं

जरा सी प्यास है 

चलो तुम्हारे नाम करता  हूँ 

 

बस मेरा ये भरम रहने दो कि तुम हो

मेरे जीने के लिए ये जरूरी है. 


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