ज़िद
ज़िद
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पक्की थी ज़िद दोनों की
कच्चा निकला रास्ता
अनबन थी एक छोटी सी
फ़िर टूट गया हर वास्ता
पूजा करते थे एक दूजे को
फ़िर कहाँ गई वो आस्था
साथ जिन्हें चलना था कल तक
अब बदल लिया है रास्ता
अनबन थी एक छोटी सी
फ़िर टूट गया हर वास्ता
पक्की थी ज़िद दोनों की
पर कच्चा निकला रास्ता