जब मैं अपने जन्म स्थान के ओर
जब मैं अपने जन्म स्थान के ओर
1 min
302
हूँ आज भी जहाँ मैं
जन्म से बड़ा होया
वहा निकल जाता हो
तो बचपन की
याद में हो से जाता हो
बचपन के यार
के साथ अब बैठकर
कार रेस की बात
करके मुकरता हूँ
वो रामलीला ग्राउंड के
खो गया था यारो से
वो बात करके दुसरे
यारों को परेशान
करते जाता हूँ
आज भी हम सब
साथ बैठ सके तो
देर से घर जाता हो
आज भी घर वालो
की डांट तो अभी भी
नहीं सुथरा सुन
अब थोड़ा सा मुस्कुरा
के कल से नहीं होगा
कहकर खाना खाने
बैठ जाता हो
आज भी माँ के
हाथ से ही जाता हूं
वो बात अब अलग है
कि कुछ जिन्दारी
के वजह से बहुत
कम घर जा पाता हूँ
