जाने कहां गये वो दिन
जाने कहां गये वो दिन
जाने कहाँ गये वो दिन ,
कहते थे हरा भरा वृक्षों से युक्त जीवन हम बनायेंगे
कर प्रदूषण मुक्त धरा को,आने वाले कल को हम बचायेंगे ।
चाहे कुछ भी हो कैसे भी हो, करेंगे पर्यावरण को स्वच्छ,
वातावरण को स्वस्थ हम बनायेंगे ।
जाने कहाँ गये वो दिन...
कहते थे प्रकृति को क्षति कभी नहीं हम पहुँचायेगें
पर्यावरण को स्वच्छ,वातावरण को स्वस्थ हम बनायेंगे,
नाले से काला होता अब ये आकाश है
धूल धूआँ कोलाहल अब हर तरफ आस पास है
प्रचण्ड उष्मा से हो रहा हिमखण्ड,सृष्टि का नाश है।
जाने कहाँ गये वो दिन....
कहते थे धरती को स्वर्ग हम बनायेंगे
भू का अस्तित्व उसे हम लौटायेंगे ।
पर्यावरण को स्वच्छ, वातावरण को स्वस्थ हम बनायेंगे ।
दिखते पर्वत सूने,धरती बंजर है
नहीं दिखते इंद्रधनुष के अब वो मंजर है
हर ओर बस प्रदूषण के चुभते बस खंजर हैं।
जाने कहाँ गये वो दिन..
कहते थे हर ओर हम वृक्ष लगायेंगे
पर्यावरण को स्वच्छ, वातावरण को स्वस्थ हम बनायेंगे ।