जाग के क्यूँ
जाग के क्यूँ
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जाग के क्यूँ तुम मुस्काने लगे।
क्या आज के सपने सुहाने लगे।
तुम्हारे छेड़े तराने न जाने क्यों ।
अकेले में ही हम गुनगुनाने लगे।
चली जो हौले से ठंडी पुरबइया ।
वो मुझे बहुत ही याद आने लगे
खौफ हो गया है जमाने से इतना।
उजाले भी अंधेरे सम डराने लगे।
याद में तुम्हारी दीवाने हो के हम।
बेसुधी में सनम यूँ ही बहकने लगे।
समय की चाल देखो कैसी अजब।
गुजरते वक़्त से सब संभलने लगे।
देखा जब भी हमदम तुम्हें स्वप्न में ,
"इरा" को वो लम्हे बहुत प्यारे लगे।