इश्क़-ए-बारिश
इश्क़-ए-बारिश
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
1 min
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
335
तुझसे सच्ची तो ये बारिश की बूँदे हैं
इनसे इश्क़ करना मुझे दगा नहीं देगा।
तू देखे तो छल हैं छूये तो छल हैं
इन बूँदो का स्पर्श ही अब
मेरे मन को सुकून देगा।