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ca. Ratan Kumar Agarwala

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इंद्रधनुष के सात रंग

इंद्रधनुष के सात रंग

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इंद्रधनुष के सात रंग, कराते प्रकृति से साक्षात्कार,

इन्ही सात रंगों से मिलता, जीवन के सप्तचक्रोँ को आकार।

हरेक रंग की अपनी महिमा, दर्शाते प्रकृति की गरिमा,

बड़ा सुहावना दृश्य होता, जब बिखेरता इंद्रधनुष अपनी लालिमा।

 

पहले चक्र का रंग लाल, उत्साह, शक्ति, सौभाग्य का प्रतीक,

कहलाता मुलाधार, लिखता सफलता का वक़्त और तारीख।

दूसरा चक्र स्वाधिष्ठान, ख़ुशी और आशीर्वाद से यह ओत प्रोत,

स्वतंत्रता और शालीनता भी होते, इसी नारंगी रंग से संतुलित।

 

तीसरा चक्र मनिपुर कहलाता, पीत वर्ण पर यह आधारित,

ज्ञान, बुद्धि, विद्या आदि, रहते पीत वर्ण से संतुलित।

चौथे चक्र को कहते अनाहत, विश्वास, दया आदि का यह प्रतीक,

इसी वर्ण से मिलता माँ वसुंधरा को, अपना हरित रूप अलौकिक।

 

पाँचवाँ चक्र है नील वर्ण, बल, पौरुष और धैर्य का यह परिचायक,

विशुद्ध संवाद की शक्ति का रूप, गंभीरता का यह निर्णायक।

छठा चक्र देता अंतर्ज्ञान, देता निडरता और वफ़ादारी,

जामुनी रंग इसका आधार, इंसान बनता आज्ञाकारी।

 

सातवां रंग बैंगनी सहस्नार, दर्शाता अध्यात्म और आत्मत्याग,

देता ध्यान और विवेक, और देता संतुलन का राग।

हर रंग की अपनी तरंग, सब मिल कर करते अनुगूंज,

मिलते जब शरीर से सब, देह बन जाती प्रकाश पुंज।

 

आसमान में जब निकलता इंद्रधनुष, छटा हो जाती बड़ी निराली,

बिखर जाती हर ओर क्षितिज में, सात रंगों की अभिराम लाली।

कैसी अद्भुत महिमा रंगों की, मानव जीवन की कहते गाथा,

सातों रंगों से हैं मानव जीवन का, एक अप्रतिम मधुर सा नाता।


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