हतभागे
हतभागे
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हुई ईर्ष्या देख उन्हें विकल
जब घकेल मेहनत वालो को
पहुँच वाले गये आगे निकल
दुनिया बोली देख ये है बड़भागी
कहलाये हम जैसे जन हतभागी
संग ईर्ष्या के आहत भी हुआ मन
देख जमाने का ये उल्टा चलन
कमाता कोई तो खाता कोई है
काम करता कोई नाम ले जाता कोई है।
क्यों न हो ईर्ष्या ये मानवीय फितरत है
धन्य है ये दुनिया फिर भी खूबसूरत है
