हॉस्टल
हॉस्टल

1 min

124
पर्दों की सरसराहट,
बिखरी किताबे,
खाली-खाली कमरा।
कह रहे हैं उस हॉस्टल की व्यथा,
जो गुलजार रहता है सदा
छात्र-छात्राओं के शोर-शराबे से।
उनकी अल्लढ़, अठखेलियों
का गवाह, मुस्कुराता है तब
जब पकड़ी जाती है-
किसी छात्र की चोरी
और वार्डन की ओर से
मिलता है पुरस्कार,
अभिभावकों से शिकायत।
फिर वही रार।
उलझन तो बहुत होती है,
इन दरों दीवारों को भी।
फिर भी यह चाहती है,
वो रार तकरार सदा बनी रहे।
नहीं भा रही उन्हें तनहाइयां,
यह सुकून यह शांति,
उन्हें तो बस इंतजार है
नए सत्र का कब आएंगे
नौनिहाल और करेंगे
अपने प्यारे हॉस्टल को निहाल।