होली जम्मी, बच्चों की खुब पटी।
होली जम्मी, बच्चों की खुब पटी।
बहुत पढ़ाई कर ली,
आओ खेलें होली,
पापा-मम्मी को पटाते,
चलो उनसे पैसे निकलवाते,
मम्मी तो न माने,
पापा के आगे फरमाते।
मोटू बोला,
पापा! हमने खेलनी होली,
क्या करोगे जेब ढीली,
तुरंत मिला ज़वाब,
पढ़ाई करो बरखुरदार,
तभी होगा बेड़ा पार।
छोटू ने फिर तरकीब लड़ाई,
हम जा रहे अनाथालय,
उन बच्चों संग खेलने होली,
पापा! अब तो दो कुछ पैसे,
जिससे रंग लिए जा सकें।
पापा मुस्कराए,
और पैसे दे डाले,
बोले मत करना,
कृत्रिम रंगों का उपयोग,
उनसे हो जाओगे बीमार।
छोटू और मोटू ले पैसे,
दौड़ भागे,
खरीदे कुदरती रंग,
और मचा दिया हुड़दंग।
ऐसे बना दिए,
सबके चेहरे,
जैसे है कोई मोडर्न आर्ट,
अगर पुकारो छोटू,
तो आ जाए मोटू,
कुछ न चल पाए पता,
यही है होली का मज़ा।
सबको कर दे एक सा,
क्या राजा और रंक,
होली मिटा देती सारा फर्क।
