हमारी मीठी यादें
हमारी मीठी यादें
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सुबह उठकर यूँ ही
हम हँस दिया करते थे।
स्कूल की पहली घंटी बजते ही,
कंधे पे किताबों का बोझ,
सर पे सपनों का ताज,
हम भी स्कूल जाया करते थे।
स्कूल की वो हवाएँ हमें
रोज़ बुलाया करती थी
उम्र के साथ
शरारत भी बढ़ती थी।
दोस्त के साथ
वो लास्ट बेंच पे बैठकर
मज़े लिया करते थे।
कौन कहता है कि
हम शरारती थे ?
दोस्त के साथ मिलकर
थोड़ी मस्ती किया करते थे।
उन्हीं यादों के साथ
आज जिंदगी जिया करते हैं
नादान दिमाग और मीठी शरारते,
बस वही एक सच्चा सफर था
जिंदगी को जो हम जिया करते थे।