हम
हम
हम भारत के आम आदमी हैं
सरकार को भगवान मानते है
पर ये वो भगवान है
जो कभी मिलता नहीं।
पहले बहुत पहले सुना करता थे
प्रजा राजा का अंश है
लोकतंत्र ने इस धारणा पर
आधुनिकता का ठप्पा लगा दिया है
ढेर सारे अधिकार दे दिए है
आम आदमी को
पर सरकार तो भगवान है
और मिलती ही नहीं है
कानून की किताब में
छिपी हुई है
और हम भारत के आप आदमी है
कानून बहुत नहीं जानते है
कानून न जानने से
हमारे अपराध माफ नहीं होते है
तब भी जब सरकार
कानून की किताब से अलग हो गयी है
यक़ीन न हो तो
दिल्ली में चुनाव के मध्य जो
सरकार के निर्माण का आधार है
ढूंढ कर दिखाएं
विधि सम्मिता
घोषणा पत्रों में
चुनाव संकल्पों में
नारों में
राजनीतिज्ञों के बयानों में।
ढूंढिए अपने को
सरकार बनाने वाले आप को
किस नजर से देख रहे है।