हम दोनों अकेले
हम दोनों अकेले
1 min
504
समंदर की लहरों की गूँज थी!
अकेली थी मैं अकेला था दरिया।
कुछ देर मैंने कहा कुछ देर, उसने सुना,
कुछ देर उसने कहा, कुछ देर मैंने सुना।
कहकर कि मैं हूँ इतना गहरा,
फिर भी हूं कितना अकेला।
मैंने कहा मेरा भी है हाल तेरे जैसा,
तेरे पास तो आब भी है।
मैं तो बस मैं ही हूँ और,
कोई नहीं है मेरे पास।
समझ रहे थे हम एक दूसरे का हाल
पता ही नहीं चला कि उसकी,
गहराइयों में मैं कब समा गयी!
हो गया था उसका अकेलापन भी खत्म
और हो गया था मेरे दर्द का अंत
और मेरे दर्द का अंत।।
